कौन हैं शिप्रा पाठक जिसने एक थैला एक थाली से महाकुम्भ को बनाया सफल।

RASHTRA SEARCH NEWS
By - Ravi Sharma
4 minute read
0

 

महाकुम्भ 2025: कौन हैं शिप्रा पाठक जिसने एक थैला एक थाली से महाकुम्भ को बनाया सफल, योगी व संघ की भूमिका रही सराहनीय।

यूपी सरकार और संघ के एक थैला एक थाली के कार्य शेली ने महाकुंभ को बनाया सफल, व स्वच्छ।

नई दिल्ली, ब्यूरो RSN: मक्का में हर वर्ष 2 करोड़ लोग आते हैं,  वेटिकन में लगभग 60 लाख लोग आते हैं, लेकिन महाकुंभ में इस वर्ष 60 करोड़ आए, हालांकि जब यूपी सरकार ने इसकी तैयारी शुरू की तब उनका अनुमान सिर्फ 40 करोड़ लोगों के आने का था। 40 करोड़ लोगों के लिए रहने खाने और आवागमन की व्यवस्थाओं के अलावा एक बड़ा चैलेंज था 40 करोड़ लोगों के आने से उनके खाने पीने और अन्य दिनचर्या से निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट और उससे होने वाले प्रदूषण और पर्यावरण को होने वाले नुक़सान का। मेला प्रबंधन समिति का अनुमान था कि 40 करोड़ लोगों के आने से 40 हज़ार टन प्लास्टिक वेस्ट पैदा होगा जो पर्यावरण के लिए बहुत ज़्यादा हानिकारक होगा।

एक थैला-एक थाली” अभियान।

अब इससे निपटने के लिए सरकार और आरएसएस के बीच मंथन का दौर शुरू हुआ और फिर वही हुआ जो मां गंगा को मंज़ूर था, नर्मदा की बेटी "शिप्रा पाठक"  ने गंगा को प्लास्टिक से मुक्त करने का बीड़ा उठाया और प्रयागराज के संगम घाट पर शुरू हुआ “एक थैला-एक थाली” अभियान। इस महाकुम्भ को स्वच्छ व सफल बनाने के लिए एक थैला एक थाली अभियान का बीड़ा उठाया शिप्रा पाठक के पंचतत्व फाउंडेशन ने, जिनके करीब 15000 कार्यकर्ताओं ने इन 45 दिनों में 12 लाख स्टील की थालियों, 15 लाख कपड़े के थैले और ढाई लाख स्टील की ग्लासों का वितरण किया गया। ये वितरण विशेष रूप से भंडारा चला रहे संस्थाओं और अखाड़ों को किया गया ताकि प्लास्टिक के दौने पत्तल और प्लास्टिक की गिलासों के उपयोग को रोका जा सके।


थैला थाली की व्यवस्था में RSS का सहयोग।


गुजरात से लेकर मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश और पंजाब से लेकर तमिलनाडु तक से कुल 7258 स्थानों से लोगों ने थैले थाली भेजे। इस महाकुंभ महाभियान में चार चांद लगाने के लिए इसमें पौधा रोपण कार्यक्रम को भी जोड़ा गया। 20 लाख पौधों का वितरण भी पंचतत्व फाउंडेशन द्वारा किया गया। संस्था की प्रमुख शिप्रा पाठक ने पौधों को लोगों की धार्मिक आस्था से जोड़ते हुए इस पौधा वितरण योजना का नाम अक्षय वट वितरण योजना रखा ताकि हर व्यक्ति अपनी पीढ़ियों तक इस कुंभ यात्रा को अविस्मरणीय बनाये रखने के लिए उस पौधे का रोपण अवश्य करे। थैला-थाली वितरण अभियान का प्रतिफल ये हुआ कि कुंभ में आने वालों की अनुमानित संख्या से कहीं ज़्यादा लोगों के आने के बावजूद मेला प्रशासन के अनुमानित 40 हज़ार करोड़ टन प्लास्टिक कचरे की बजाय 29 हज़ार टन कम कचरा निकला यानि सिर्फ़ इस एक अभियान के चलते प्लास्टिक कचरे में 70% से अधिक की कमी आई। आरएसएस की अखिल भारतीय पर्यावरण सेवा से संबंधित शाखा के प्रमुख गोपाल आर्या और आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत की प्रेरणा से चले इस महाभियान में बनती गई थालियों और थैलों से सिर्फ़ कुंभ  के आयोजन के समय ही नहीं बल्कि आने वाले वर्षों तक पर्यावरण को प्लास्टिक से होने वाले नुक़सान से बचाया जा सकेगा।


कौन है शिप्रा पाठक

शिप्रा पाठक के बारे में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी सीमित है, और "वोटर वुमन" के संदर्भ में उनका समाजसेवी शिप्रा पाठक को उत्तर प्रदेश में नर्मदा की बेटी या वॉटर वुमेन के नाम से जाना जाता हैं, शिप्रा अयोध्या से रामेश्वरम तक 3952 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर चुकी है। शिप्रा नदियों की स्वच्छता व संरक्षण के लिए निरन्तर कार्य करती आई है, अगर पैदल यात्रा की बात करे तो अब तक करीब 11000 किलोमीटर तक पैदल यात्रा कर चुकी है। शिप्रा पाठक पंचतत्व फाउंडेशन के नाम से एक NGO चलाती हैं, जिसमे नदियों की स्वच्छता व पर्यावरण सम्बंधित कार्यक्रम करती रहती है हाल ही उत्तर प्रदेश प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में भी स्वच्छता अभियान के तहत एक थैला एक थाली अभियान चलाया 45 दिनों में 12 लाख स्टील की थालियों, 15 लाख कपड़े के थैले और ढाई लाख स्टील की ग्लासों का वितरण किया गया। ताकि प्लास्टिक के दौने पत्तल और प्लास्टिक की गिलासों के उपयोग को रोका जा सके।


विदेशी मीडिया ने भी की प्रसन्नसा।

देश ही नहीं बल्कि विश्व के मीडिया ने शिप्रा पाठक के इस अभियान को सराहा है, देश का कोई भी चैनल कोई भी अखबार ऐसा नहीं बचा जिसने “एक थैला-एक थाली” अभियान को न कवर किया हो। हमारे देश की सोशल मीडिया भले ही महाकुंभ में आईआईटी बाबा, मोनालिसा और हर्षा रिछारिया में अटक कर रह गया हो लेकिन बाक़ी सब जगह इस अभियान की अच्छी खासी लोकप्रियता रही। सोशल मीडिया भी इस मुहिम का हिस्सा बने और नदियों के संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली शिप्रा और उनके पंचतत्व फाउंडेशन से जुड़े तभी हमारी नदियाँ वापस से निर्मल होंगी और हमारा पर्यावरण स्वच्छ और सुरक्षित बनेगा।

Author: रवि शर्मा
राष्ट्र सर्च न्यूज़ (देश की आवाज़)


Tags:

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

Featured Section