दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की माग उठाई।

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By - Ravi Sharma
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दिल्ली।  उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्व महापौर व एकीकृत दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष योगेंद्र चांदोलिया ने राष्ट्रपति महोदय व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर दिल्ली के उपराज्यपाल व दिल्ली के मुख्यमंत्री को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है।



दिल्ली में एक पुरानी कहावत चरितार्थ हो रही है।

रोम जल रहा था, नीरो बाँसुरी बजा रहा था। 


योगेंद्र चांदोलिया ने दिल्ली के LG साहब और मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है। कि दिल्ली में चारों ओर कोरोना, प्रदूषण, दिल्ली की तीनों नगर निगमों के हज़ारों कर्मचारियों, अधिकारियों, डॉक्टर, नर्स, टीचर, इंजीनियर, सफ़ाई कर्मचारी व अन्य लोगों को चार चार महीने की सैलरी नही दी गई है। हज़ारों लोग जो पेंशन पर निर्भर है। उनका जीवन बहुत मुश्किलों में है।



उत्तरी नगर निगम के हालात के लिए दिल्ली के  उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं।
DMC ACT 107 के तहत दिल्ली सरकार वित्तीय कमिशन को नियुक्त करती है। वित्त आयोग की शिफारिश को दिल्ली सरकार को माननी पड़ती है। यह DMC ACT का प्रावधान है।




तीसरा वित्त आयोग 2011 में समाप्त हो गया था। लेकिन चौथे वित्त आयोग को दिल्ली सरकार की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती शिला दीक्षित व अरविंद केजरीवाल ने ना मानकर दिल्ली नगर निगमों को राजनीति के तहत कर्ज में डाल दिया। 4th वित्त आयोग के लागू न होने पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 968.97 करोड़ का नुकसान हुआ।

मुख्यमंत्री की शिफॉसी को उपराज्यपाल ने स्वीकार किया कि दिल्ली के लोगों के साथ धोखा किया गया है।  



अगर एलजी साहब चाहते तो आज निगमों के हालात नहीं बिगड़ते।

चौथे वित्तीय आयोग ने 2016-2021 तक कहा कि पूरी तरह से शिफारिश दिल्ली सरकार ने नहीं मानी। जिसके लिए सीधे सीधे LG, व मुख्यमंत्री जिम्मेदार है।
जिसके कारण उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 4178 करोड़ रुपये नहीं दिए गए।

कमीशन की शिफारिश थी उत्तरी दिल्ली नगर निगम को हस्पताल चलाने के लिए 1 साल में 300 करोड़ और 5 साल में 1500 करोड़ रुपये शिक्षा अनुदान 75% से 90% करना था। 



60 करोड़ का प्रतिवर्ष 3 साल का 180 करोड़ ट्रांसफर शुल्क 1% की कटौती जिसमें 50 करोड़ का नुकसान ड्रेनेज प्रबंधन की वापसी 1 वर्ष में 120 करोड़ 5 वर्ष के 600 करोड़ रुपये बिजली के कलेक्शन चार्ज में कटौती 5 करोड़ 5 साल में 25 रुपये।



5 वें वित्त आयोग को पूरा लागू करने पर 4178 करोड़ का नुकसान हुआ।
वर्ष 2020 -21 के बजट में दिल्ली सरकार ने प्रावधान किया था। 2090 करोड़ का 70 करोड़ कैपिटल के देने से मना कर दिया गया।आज तक दिल्ली सरकार से 75% की राशि आनी चाहिए थी। जो 1515 करोड़ रुपये बनती है। 



लेकिन अभी तक 904 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। कर्मचारियों की हड़ताल देखने के बाद भी 611 करोड़ जारी नहीं किए जा रहे हैं। 

नगर निगमों में 13 साल से दिल्ली सरकार की राजनीति करने में लगी है। जबकि CAG की 2018 की ऑडिट रिपोर्ट में दिल्ली सरकार को DTC और जल बोर्ड से बकाया की रिकॉवरी पर ध्यान देने के लिए कहा गया था। 1996 से 2011 तक 11676 करोड़ रुपये उस ब्याज पर 20818 करोड़ रुपये जोड़ दिए गए तो डीटीसी से 32494 करोड़, जल बोर्ड से 26600 करोड़ अगर ब्याज भी जोड़ दिया जाए तो दिल्ली सरकार के दो साल के बजट से ज्यादा की राशि है। जबकि यह पैसा सीएजी की रिपोर्ट के बाद भी वसूल नहीं कर रहा है। 
उल्टे डीटीसी और जल बोर्ड को ग्रांट और दे रही है। जबकि नगर निगम को ग्रांट देना बंद कर दिया गया है।



उत्तरी दिल्ली नगर निगम को दिल्ली सरकार से 5757 करोड़ रुपये लेना है। जबकि अक्टूबर 2020 तक कि सैलरी 1292.50 करोड़ है। अगर यह पैसा उत्तरी दिल्ली नगर निगम को मिलता है तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम के जो हालत दिल्ली में चल रहा है, उसके बाहर निकल जाएगा। दिल्ली नगर निगम के लोंगो की सैलरी व पेंशन और दिल्ली के विकास में यह राशि काम आयगी।


रवि शर्मा
राष्ट्र सर्च न्यूज़ दिल्ली

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