भारत के ऐसे 17 शक्तिपीठ जिनके दर्शन हर माता-पिता के भक्त को करने चाहिए।

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By - Ravi Sharma
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 नई दिल्ली से रवि कौशिक की रिपोर्ट


भारत के ऐसे 17 शक्तिपीठ जिनके दर्शन हर माता-पिता के भक्त को करने चाहिए। 

1. अर्बुदा देवी: - अर्बुदा देवी देवताओं आबू (प्रतिग्रह) का एक शक्तिपीठ है जो बेहद पवित्र माना जाता है। अर्बुदा पर्वत पर सती के औंठ / "अधर" गिरे थे। जिसकी वजह से इसे अधर या अरबुदा देवी का घर कहा जाने लगा। अर्बुदा देवी को बारिश देने के लिए माना जाता है। रेज के रेजिमानी क्षेत्र में बारिश को जीवन और शान्ति हेतु पूजा जाता है। मंदिर आबू की पहाड़ी पर स्थित है जहां पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां की गुफा के भीतर एक चिराग लगातार जलता रहता है और भक्त इस प्रकाश को शक्ति का दर्शन कहते हैं। यहां चैत पूर्णिमा और विजया दशमी पर मेले का आयोजन होता है।


2. कौशिक: - अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर काश पर्वतों पर स्थित यह शक्तिपीठ है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों से दर्शनार्थी यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से आपको यहां पहुंचने के कई साधन मिल जाएंगे।


3. हरसिद्धि माता: - हरसिद्धि माता की चौकी राजा विक्रमादित्य की प्रसिद्ध राजधानी उज्जैन में स्थित है। यह पवित्र स्थान महाकलेश्वर ज्योतिर्लिंग के नज़दीक स्थित है। बड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ दर्शन हेतु आते हैं। यहाँ के आस-पास के क्षेत्रों में हरसिद्धि माता के चमत्कार के कई किस्से कहे-सुने जाते हैं।


4. सत् यात्रा: - ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से 3 मील की दूरी पर और नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह शक्तिपथ।) इसे सप्ततनिराज मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है, जिसका अर्थ ब्रम्हि, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वराहि, नरसिंहि और ऐन्द्री होता है। इस तीर्थ स्थल पर इन सभी देवियों के मंदिर हैं। और यहाँ के प्राकृतिक दृष्टिकोण को तो बस आपका मन मोह लेगा।


5. काली: - यह शक्तिपीठ कोलकाता में स्थित है। भागीरथी नदी के गड्ढों पर स्थापित यह मंदिर हवड़ा रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर के भीतर त्रिनयना, रक्तांबरा, मुंडमालिनी और मुक्ताकेशी की चौकियां स्थापित हैं। पूरे बंगाल में इसे बड़ी श्रद्धा की नज़र से देखा जाता है और इसको लेकर कई चमत्कारिक कहानियां कही सुनी जाती हैं। कहा जाता है कि रामकृष्ण परमहंस पर साक्षात मां काली की कृपा थी।


6. गुहेश्वरी: - गुहेश्वरी नामक यह अति प्रसिद्ध पीठ नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है। यह शक्तिपीठ बागमती नदी के तट पर पशुपतिनाथ मंदिर के नज़दीक है। मां गुहेश्वरी का नाम पूरे नेपाल में बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है। नवरात्र के दौरान नेपाल का राजघराना अपने पूरे परिवार के साथ बागमती नदी में स्नान के पश्चात यहां दर्शन-पूजन हेतु आता है।)


7. कालिका; - भगवती कालिका का यह शक्तिपीठ कालका जंक्शन के दृश्यदीक दिल्ली-शिमला मार्ग पर स्थित है। कहावत है कि शुम्भ-निशुम्भ से के दुराचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए तप करने चले गए थे। जब मां पार्वती ने पूछा कि वे व्हकी स्तुति कर रहे हैं, तो वहां मां पार्वती का एक और रूप प्रकट हुआ और उनके अश्वेत वर्ण की वजह से उसे कालका नाम से जाना गया।


8. दुर्गा शक्तिपीठ: - मां महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती वाराणसी में त्रिकोणीय शक्ति का केंद्र। ये शक्तिपीठों की स्थापना के साथ ही अलग-अलग कुंडों की भी स्थापना की गई थी, जिसमें से लक्ष्मी कुंड और दुर्गा कुंड आज भी वाराणसी में विद्यमान हैं। ये शक्तिपीठों के अलावा वाराणसी में नवदुर्गा अर्थात् शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, काल रात्रि, महागौरी और सिद्धि रात्रि भी संतमन हैं। ये सभी शब्दों की व्याख्या शब्दों में करना बड़ा मुश्किल है, और पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहाँ दर्शन-पूजन हेतु यहाँ आते हैं।


9. विद्धेश्वरी पीठ: - यह पुरातन मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा में स्थित है। कांगड़ा रेलवे स्टेशन पठानकोट और योगिन्दरनगर के बीच रूट पर पड़ता है। इस मंदिर को प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है, और अगर पुराणों को माना जाए तो यहां माता सती का मंदिर गिरा है। इस मंदिर में मां सती की सिरमा प्रतिमा स्थापित है और इसके ऊपर सोने का छाता लगा हुआ है। इसके दर्शन के लिए पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां मंदिर परिसर में एक कुंड भी स्थित है।


10. महालक्ष्मी पीठ: - मां महालक्ष्मी की यह चौकी कोल्हापुर में स्थित है, जहां किसी जमाने में शिवाजी के वंशज राज किया करते थे। अगर देवी भागवत और मत्स्य पुराण की मानें तो यह पवित्रतम पूजन स्थल ।पुरे महाराष्ट्र में इससे पवित्र स्थल कोई नहीं है, जहां पूरे देश से लाखो श्रद्धालु पूजन के लिए आते हैं।


11. योगमाया: - योगमाया मंदिर कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 15 मील की दूरी पर स्थापित है, जिसे क्षीर भवानी योगमाया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर एक द्वीप पर है जो चारो ओर पानी से घिरा है। और यहां के पानी का मोड़ रंग आपकी इच्छा और कामना के पूरे होने की कहानी कहता है। जेठ मास में यहां एक बहुत बड़ा मेला लगता है।


12. अम्बा देवी: - अम्बा देवी का यह मंदिर जूनागढ़ के गिरनार पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर काफ़ी ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक ​​पहुंचने के लिए 6000 सीढ़ियां और तीन चोटियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां तीनों शिवालयों पर अलग-अलग माता अम्बा देवी, गोरक्षनाथ और दत्तात्रेय के मंदिर स्थापित हैं। घने जंगलों के बीच मां अम्बा की यह विशाल प्रतिमा और मंदिर अद्भुत नज़ारे प्रस्तुत करता है। यहां की एक गुफा में मां काली का मंदिर स्थापित किया गया है, जहां भक्तों का तांता लगा रहता है।


13. कामाख्या पीठ: - यह अतिप्रसिद्ध और सिद्ध शक्तिपीठ आसम में गुवाहाट से 2 मील की दूरी पर स्थित है।] कालिका-पुराण के अनुसार यहाँ माता सती का यानांग गिरा था। इस पवित्र स्थल को "योनि-पीठ" के तौर पर जाना जाता है जो जो के भीतर स्थापित है। यहाँ एक कुंड भी स्थित है, जिसमें फूलों की भरमार है। इसे महाक्षेत्र के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि मां भगवती को यहां मासिक धर्म की वजह से रक्तस्त्राव होता है और यह मंदिर इस दौरान बंद रहता है। यहाँ से 16 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध "कामरूप" मंदिर स्थित है। इस इलाके में रहने वाली औरतों के मोहपाश में बांधने के किस्से दूर-दूर तक कहे सुनाए जाते हैं।


14. भवानी पीठ: - यह पवित्र पूजन स्थल चित्तगौंग से 24 मील की दूरी पर स्थित है, जिसे सीताकुंड के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रसिद्ध भवानी मंदिर नज़दीक चंद्रशेखर पर्वतों के ऊपरी भाग में स्थित है। यहाँ "कछव" नाम का एक कुंड स्थित है। और यहीं नज़दीक में एक कभी न बुज़ने वाली ज्योति प्रज्वलित रहती है।


15. कालिका पीठ: - मां काली के मंदिर के तौर पर फेमस यह अत्यंत प्राचीन सिद्धपीठ ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ में स्थित है। यहां मंदिर के स्तंभों में आकृतियां उभरी गयी गयी गयी हैं और यहां कभी एक बुज़ने वाला दीप भी प्रज्वलित रहता है। इस मंदिर के परिसर में तुलजा भवानी और माता अन्नपूर्णा के भी मंदिर स्थापित हैं।


16. चिंतपूर्णी: - होशियारपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर माता चिंतपूर्णी को समर्पित यह पीठ पर्वतीय क्षेत्रों में अद्भुत छटा बिखेरता है। कांगड़ा घाटियों में स्थित मां चिंतपूर्णी, माता ज्वालामुखी और मां विद्धेश्वरी के रूप मं स्थापित यह तीनों केंद्र हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं। अब तुम जाइए और मां के दर्शन कर आइए।


17. माँ विन्ध्यवासिनी: - उत्तर प्रदेश के चयनार रेलवे स्टेशन से 2 मील की दूरी पर स्थित यह मंदिर विन्ध्य पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। यहां मंदिर का प्रवेश द्वार बड़ा ही संकरा है जैसे कोई खिड़की हो। यहां पूरे उत्तर भारत के लोगों के साथ-साथ कई होने वाली मानी हस्तियों के दर्शन के लिए यहां आते हैं। यहाँ का दृश्य बड़ा ही मनोरम है। यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


तो भाई साहब आप क्या सोच रहे हैं? बाहर

निकल गिरने की  माँ के दरबार की ओर से। दर्शन भी और होली भी। आख़िर भारत ऐसे ही मंदिरों और मठों का देश थोड़े न है।



ऐसे ही ख़बरों के लिए हमे बताएंगे !


रवि कौशिक की रिपोर्ट

आर एस न्यूज़ दिल्ली

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