जानिए क्यों मनाई जाती है वसंत पंचमी, इसके पीछे का इतिहास आपको जरूर जानना चाहिए।

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By - Ravi Sharma
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रवि शर्मा की रिपोर्ट।


नई दिल्ली।  त्रिदेवियों में से एक माता सरस्वती की पूजा वसंत पंचमी के दिन होती है। वसंत पंचमी के दिन को उनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। देवी सरस्वती का वर्ण श्वेत है। हालांकि पुराणों में 2 सरस्वती के होने का उल्लेख मिलता है। आओ जानते हैं इस रहस्य को। हिंदू शास्त्रों में सरस्वती नाम से दो देवियों का उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यता है कि एक विद्या की देवी और दूसरी संगीत की देवी। दोनों की ही पूजा करनी चाहिए। बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी एक कमल पर विराजमान है और दूसरा हंस पर।




दो सरस्वती :


1. शास्त्रों के अनुसार जिस तरह ज्ञान या विद्याएं दो हैं उसी तरह सरस्वती भी दो हैं। विद्या में अपरा और परा  दो विद्याए बताई गई है। अपरा विद्या की सृष्टि ब्रह्माजी से हुई लेकिन परा विद्या की सृष्टि (ईश्वर) से हुई मानी जाती है।


2. अपरा विद्या का ज्ञान जो धारण करता है, वह ब्रह्माजी की पुत्री है जिसका विवाह विष्णुजी से हुआ है। ब्रह्माजी की पत्नी जो सरस्वती है, वे परा विद्या की गेहूं्यात्री देवी हैं। वे मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करने वाली देवी हैं और वे महालक्ष्मी (लक्ष्मी नहीं) की पुत्री हैं।


3. शाक्त परंपरा में तीन शब्दों का वर्णन है- प्राधानिक, वैकृतिक और मुक्ति। यह प्रश्न का, इस रहस्य का वर्णन प्राधानिक रहस्य में है। इस रहस्य के अनुसार महालक्ष्मी के द्वारा विष्णु और सरस्वती की उत्पत्ति हुई अर्थात विष्णु और सरस्वती बहन और भाई हैं। ये सरस्वती का विवाह ब्रह्माजी से और ब्रह्माजी की जो पुत्री है, उनका विवाह विष्णुजी से हुआ है।


4. सरस्वती नाम से दो देवियों का उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यता है कि एक विद्या की देवी और दूसरी संगीत की देवी। दोनों की ही पूजा करनी चाहिए। एक कमल पर विराजमान है और दूसरा हंस पर। कहीं-कहीं ब्रह्मा पुत्री सरस्वती को विष्णु पत्नी सरस्वती से संपूर्ण तो अलग माना जाता है। इस तरह मतान्तर मे तीन सरस्वती का भी वर्णन आता है। इसके अन्य पर्याय या नाम वाणी, शारदा, वाग्देवी, वागेश्वरी, वेदता इत्यादि हैं। देवी भागवत के अनुसार विष्णु पत्नी सरस्वती वैकुण्ठ में निवास करने वाली है। और पितामह ब्रह्मा की जिह्वा से जन्मी हैं। देवी सरस्वती का वर्णन वेदों के मेधा सूक्त में, उपनिषदों, रामायण, महाभारत के अतिरिक्त कालिका पुराण, वृहत्त नंदीकेश्वर पुराण और शिव महापुराण, श्रीमद् देवी भागवत पुराण इत्यादि में मिलता है। इसके अलावा ब्रह्मवैवर्त पुराण में विष्णु पत्नी सरस्वती का विशेष उल्लेख आया है।







रवि शर्मा सौर्सेज रिपोर्ट

आर एस न्यूज़ दिल्ली

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