गुप्त नवरात्रि में मिलती है माँ दुर्गा की विशेष कृपा, ख़ास है गुप्त नवरात्रों का महत्व।

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By - Ravi Sharma
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रवि शर्मा की रिपोर्ट

नई दिल्ली।



हिन्दू शास्त्रों में नवरात्रि का बहुत महत्व है। उसमे भी गुप्त नवरात्रों का तो विशेष महत्व है। सनातन धर्म में हर साल चार नवरात्रि का ज़िक्र किया गया है। मगर आम तौर पर लोग साल में दो ही नवरात्रों को जानते है जो पहले नवरात्रि चैत्र माह (अप्रेल) और दूसरे नवरात्रि अश्विन माह यानी अक्टूबर महीने में आते है। बाकी दो नवरात्रि गुप्त रूप से साधु-संतों के लिए होते हैं। जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की दस महाविघाओं की साधना की जाती है। 

ऐसी मान्यताए है कि, गुप्त नवरात्र में की जाने वाली पूजा से साधक को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस बार कुंभ संक्रांति, के साथ ही गुप्त नवरात्र की शुरुआत हो जाने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। माघ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इस बार यह शुभ तिथि 12 फरवरी से आरंभ हो गई है।



    



गुप्त नवरात्र का महत्व क्या है❓




चार नवरात्र में से दो को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है। क्योंकि इनमें गृहस्थ जीवन वाले साधना पूजन करते हैं। लेकिन जो दो गुप्त नवरात्र होते हैं, उनमें आमतौर पर साधक सन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने वाले, तांत्रिक-मांत्रिक देवी की उपासना करते हैं। हालांकि चारों नवरात्र देवी सिद्धि प्रदान करने वाली होती हैं। लेकिन गुप्त नवरात्र के दिनों में देवी की दस महाविधाएं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है। जबकि प्रत्यक्ष नवरात्र में सांसारिक जीवन से जुड़ी हुई चीजों को प्रदान करने वाली देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में अगर आमजन चाहें तो किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में साधना करके मनोरथ की पूर्ण कर सकते हैं।






 

इसे क्यों कहा जाता है गुप्त नवरात्रि❓



गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना का विशेष महत्व रहा है। चूंकि तंत्र साधना गुप्त रूप से किया जाता है इसलिए यह गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। यह आमतौर पर तंत्र विघा में रुचि रखने वाले साधक और तांत्रिक करते हैं। गुप्त नवरात्र में साधना के साथ सिद्धियों की भी प्राप्ति की जाती है। प्राचीनकाल में गुप्त नवरात्र ही ज्यादा प्रचलित थीं। बाद में युगों के परिवर्तन के बाद चैत्र नवरात्र मूल रूप में आया और फिर शारदीय नवरात्र। गुप्त नवरात्र आषाढ़ और माघ मास में की जाती है।








रवि शर्मा 

आर एस न्यूज़ दिल्ली



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