अंकित यादव हत्या काण्ड
उत्तर प्रदेश | दो मासूम बच्चियां अपनी दादी गुड्डी से पूंछ रही मेरे पापा कब आएंगे? ये वो 5 -6 वर्ष की मासूम है जिन्हे नहीं मालूम कि वो जिस पापा के बारे में पूछ रही है-उनको तो बदमाश मौत के घाट उतार चुके है। वो अब अतीत की बात हो गयी है वो अब कभी वापस नहीं आएंगे। जी हां ये मामला है औरैया थाने में दर्ज अंकित यादव का जिसे बदमाशों ने घर से बुला कर मौत के घाट उतार दिया। पूरे एक माह होने के बाद पुलिस वही की वही खड़ी है। जबकि परिजनों ने नामजद FIR करा रखी है लेकिन पुलिस ने एक बार भी उन बदमाशों से पूछताछ करने की जहमत नहीं उठायी। बदमाश खुलेआम घूम कर लोगो में दहशत पैदा कर रहे है। औरैया में बदमाशों में पुलिस का खौफ नहीं बल्कि आमजन बदमाशों के खौफ में जी रहे है और बदमाश खुले आम घूम रहे है ।
अंकित के घर और आसपास का माहौल देखने के बाद नहीं लगता कि ये उसी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र है जहा मुख्यमंत्री योगीआदित्य नाथ काराज चलता है ? औरैया पुलिस की यहाँ बदमाशों को खुली छूट मिली हुयी है। पुलिस और बदमाशों की सांठ गाँठ से लोगो में दहशत का माहौल बना हुआ है। इस हत्याकांड के बाद से स्थानिय लोगो का कहना है कि यहाँ की पुलिस मनमानी कर सरकार को गलत सूचना उपलब्ध करा रही है। औरैया पुलिस की कार्य शैली को देखने के बाद नहीं लगता कि नाम चीन बदमाशों को सलाखों के पीछे और मौत के घाट उतारने वाली ये वही यूपी पुलिस है- जो यहाँ बदमाशों की सरपरस्त दिखाई पड़ रही है। अंकित यादव मामले में पुलिस की सरपरस्ती का आलम ये है कि विगत एक माह से जब जब पीड़ित परिवार पुलिस से अंकित की मौत पर दर्ज F I R की जानकारी लेने थाने जाते है तब तब बदमाशों की ओर से FIR से नाम वापस लेने की धमकिया परिवारी जन को लगातार मिल रही है। पुलिस को इसकी सूचना भी परिजन दे चुके है लेकिन मामला जस के तस बना है। परिजनों के मुताबिक जब पुलिस कप्तान से इस केस के मुताबिक गुहार लगाई तो अगली सुनवाई या विवेचना अधिकारी छुट्टी पर गए है या फिर कुछ और समझा -बुझा कर उन्हें टरका दिया जाता है। हद तो 25 अगस्त को तब हो गयी जब पुलिस कप्तान ने स्वम इस मामले से हाथ खड़े कर दिया और कहा कि मामला एक्सीडेंट का है। अब अगर मामला एक्सीडेंट का है तो जिस वाहन सेएक्सीडेंट हुआ वो कहा है? पूछने पर पुलिस चुप्पी साध जाती है।
दरअसल अंकित यादव मर्डर केस में मामला कुछ और ही दिखाई पड़ रहा है। स्थानिय लोगो के मुताबिक F. I R में नामजद लोगो की आसपास में काफी दहशत है।लोगो ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि नामजद बदमाशों में एक पुलिस के लिए मुखबरी करता है जबकि वही दूसरे कई लोग सट्टा कारोबार से जुड़े हुए है जो यहाँ की पुलिस की सरपरस्ती में फलफूल रहा है जिससे मोटा पैसा औरैया पुलिस को जाता है। इसी के चलते पुलिस इन बदमाशों पर कार्रवाई करने से बच रही है। बताया जा रहा है की अंकित यादब की मौत की गुत्थी औरैया पुलिस में तैनात लोगों के रहते शायद ही किसी नतीजे पर पहुंच पाए। "बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ ' का नारा देने वाली सरकार क्या ये बता सकती है कि ये नन्ही दो मासूम बच्चियों को पढ़ाने और बचाने का काम कौन करेगा? आज ये दोनों मासूम विगत एक माह से रोज रोते -रोते रात में अपनी माँ और दादी की गोद में सो जाती है कि पापा कब आएंगे ? इन बच्चियों का रोना और दूसरी ओर पुलिस की कार्यशैली से घरवालों का बुरा हाल है। अब सवाल ये उठता है कि क्या यही योगी राज है जहा अपराधी खौफ में है ? क्या ऐसे ही प्रदेश में क़ानून का राज आएगा जहाँ बड़े बड़े नामचीन बदमाशों को पुलिस एनकाउंटर का भय पैदा कर नए बदमाशों को जन्म दे रही है? ये बड़ा सवाल औरैया के लोगो में अब कौंधने लगा है। अंकित यादव हत्या काण्ड के बाद से लोगो में दहशत का माहौल है। इस बारे मैं जब औरैया पुलिस कप्तान के मोबाइल नंबर पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो मोबाइल पर किसी अन्य ने जवाब में कहा की साहिबा तो मीटिंग में है। जबकि परिजन का कहना है की मेरे बेटे की मौत का इन्साफ कब मिलेगा ? सब से योगी जी का प्रदेश में शासन आया है हर तरफ अमन है फिर औरैया में क्या है? जब से मेरे भाई अंकित की हत्या की गयी और हम लोग दर -दर इंसाफ के लिए भटक रहे लेकिन एक माह होने को आया बदमाश खुले आम घूम रहे और पुलिस मामले की लीपापोती करने का प्रयास कर रही है। मृतक अंकित के भाई दीपेन्द्र यादव का कहना है प्रशासन मेरे भाई की मौत का इन्साफ करेगा भी या नहीं ?
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