दिल्ली का होगा अपना शिक्षा बोर्ड, केजरीवाल सरकार के फ़ैसले से राजनीति गरमाई।

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By - Ravi Sharma
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 नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली का अपना शिक्षा बोर्ड बनाने का ऐलान किया है। जिसके लिए काउंटर की बैठक में मंजूरी भी दे दी गई है। ऐसा होने पर अब दिल्ली सरकार के दायरे में आने वाले स्कूलों में नए शिक्षा बोर्ड के तहत ही पढ़ाई कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्षो से चल रहे शिक्षा तंत्र को बदलने के लिए हमने बजट का लगभग 25 प्रतिशत पैसे वाले स्कूलों पर ख़र्च करना शुरू कर दिया है। सरकारी स्कूलों के बच्चों के रिजल्ट प्राइवेट स्कूल से बेहतर आ रहे हैं। अब सरकारी स्कूलों का कायाकल्प होने लगा है हमने अपने स्कूलों के अध्यापकों, व प्रिसिप्लो को बड़े स्तर पर विदेशो में प्रशिक्षण करने के लिए भेजा है। सीएम केजरीवाल आगे कहा कि अभिभावको का भरोसा अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों को के प्रति बड़ा है। ऐसे में समय आ गया है, यह तय किया जाए कि स्कूल में क्या पढ़ाया जा रहा है और क्यों पढ़ाया जा रहा है। अब हमें ऐसे बच्चों को तैयार करने की जरूरत है जो देशभक्त हो और हर क्षेत्र की जिम्मेदारी लेने में सक्षम हो। 




 

दिल्ली शिक्षा बोर्ड:  


दिल्ली सरकार के शिक्षा बोर्ड के फैसले पर प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई है। जिसके बारे में एजुकेशन एक्टिविस्ट वकील अशोक अग्रवाल का कहना है, कि सीबीएसई बोर्ड से सरकारी स्कूलों के लिए अलग से बोर्ड बनाना कतई सही नहीं होगा। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल पूरे देश में और अन्य देशों में भी है। ऐसे में इंटरनेशनल बोर्ड को हटाकर राज्य बोर्ड में डालना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा।






उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री ने कहा है, कि सबसे पहले 40 स्कूलों को ही बोर्ड से मान्यता दी जाएगी। इसमें सरकारी और प्रिवी स्कूल दोनो को ही शामिल किया जाएगा। इसके बाद दिल्ली बोर्ड से मान्यता लेने वाले स्कूलों की इच्छा पर है। ऐसे में यह बात समझ से बाहर है। अग्रवाल ने कहा, दिल्ली सरकार बोर्ड बनाती है तो सभी सरकारी स्कूल उस बोर्ड के तहत आ जाएंगे। वहीं केंद्रीय विद्यालय सीबीएसई बोर्ड को छोड़कर दिल्ली बोर्ड में क्या यह मुश्किल है? ' उन्होंने आगे कहा कि आज अन्य राज्यों के बच्चे दिल्ली के स्कूलों में पढ़ना चाहते हैं। क्योंकि उन्हें उनके राज्य बोर्ड के बजाय सीबीएसई बोर्ड से पढ़ना है। वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सदस्य राम शंकर कुरील ने कहा कि सीबीएसई एक बड़ा प्लेटफॉर्म है। उसे छोड़कर राज्य के बोर्ड और छोटे प्लेटफॉर्म पर जाना कितना सही है। इस बारें में कुछ कह नहीं सकता। अरविंद सरकार को इस मामले में सोचना चाहिए।







रवि कौशिक की रिपोर्ट
राष्ट्र सर्च न्यूज़ दिल्ली
 

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