नई दिल्ली। कोरोना वैश्विक महामारी ने पूरे देश को अस्त व्यस्त करके रख दिया। जिसकी भरभाई करने में अभी भी काफ़ी समय लगेगा। अभी वैक्सीन आने से लोगो मे कोरोना से जितने का थोड़ा विश्वास पैदा हुआ है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने दो कोरोना वैक्सीन "कोविशील्ड और कोवैक्सीन" को आपातकाल अप्रूवल के जरिए इस्तेमाल की मंजूरी दी है। हालांकि टीके को लेकर कई नेताओं द्वारा राजनीति भी की गई थी। जिसमे वैक्सीन की गुणवत्ता व टीकाकरण की प्रक्रिया पर भी संदेह जताया गया था। हालांकि सरकार ने शुरूआत से ही इसको लेकर स्पष्ट किया है कि यह दोनों ही कोरोना वैक्सीन सेफ है। सरकार ने कहा कि इसको लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिए।
लोकसभा में शुक्रवार को एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वैक्सीन किसी भी बीमारी से बचाव और इनसे होने वाली मौतों को रोकने में मदद करते हैं। दुनिया भर में किसी भी वैक्सीन को अनुमति दिए जाने से पहले इनका वैज्ञानिक परीक्षण होता है। परीक्षण के नतीजों के आधार पर विशेषज्ञ समिति इसका विश्लेषण करती है।
उन्होंने यह भी कहा, कि “टीकों को अनुमति देने में विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन की भूमिका होती है। जब पूरी दुनिया कोरोना के इन टीकों पर विश्वास कर रही है और सरकार इसको सबके लिए उपलब्ध करा रही है तो भ्रम से बाहर आकर सबको इसे लेना चाहिए।” बता दें कि देश में पहले फेज के तहत फ्रंट लाइन वर्करों जैसे पुलिस, डॉक्टर, स्वास्थकर्मियों इत्यादि को कोरोना का टीका दिया गया। दूसरे फेज में 60 साल से ऊपर बुजुर्ग और 45 से 60 के बीच किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को कोरोना का पहला टीका दिया जा चुका है !
ब्यूरो रिपोर्ट
राष्ट्र सर्च न्यूज़
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